धेनु धरती फाउंडेशन
गो से कृषि - गो से ऋषि
जय गो माता
|| ॐ करणी ||
जय गुरुदाता
स्वामी श्री गोबर गोपाल सरस्वती जी महाराज - प्रधान संरक्षक

मेरा सामान्य परिचय:
प्राप्त शरीर का नाम-स्वामी गोबर गोपाल सरस्वती गुरु गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द जी सरस्वती।
प्राप्त शरीर की जन्म दिनांक: 17 जून 1992
प्राप्त शरीर का पूर्व नाम:- पिंटू माली
प्राप्त शरीर की जन्मभूमि:- रायला, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान- पिन- 311024
लौकिक शिक्षाः- आठवीं तक
आध्यात्मिक शिक्षा:-
दादा गुरुदेव परम पूज्य दाता भगवान और गुरुदेव भगवान परम पूज्य गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द सरस्वती जी महाराज के सानिध्य मैं जगतजननी भगवती गौमाता के दिव्य एवं ईश्वरीय स्वरूप की महिमा का श्रवण, चिन्तन व मनन तथा रामचरित मानस, श्रीमद्भगवत गीता व वेदांत का अध्ययन।
मेरे प्राप्त शरीर का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रायला गाँव में एक माली (वैश्य) किसान परिवार में हुआ। कक्षा 8 तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद पढ़ाई में मन नहीं लग पाया। परिवार का वातावरण आध्यात्मिक होने के कारण पूजा-पाठ, भगवद्दर्शन, सेवा और दया का भाव बाल्यकाल से ही था। अतः भगवान से मिलन की इच्छा प्रबल होती चली गई। दुष्ट लोगों द्वारा जीव हत्या पर मन बचपन से ही व्यथित रहता था और बड़ा होकर शक्तिशाली बनकर दुष्टों से सामना करने का मन बनने लगा और लव कुश व्यायाम शाला (अखाड़े) में प्रवेश कर कुश्ती का अभ्यास करने लगा। एक बार एक निराश्रित गोमाता को आदर पूर्वक घर ले आया और गोमती नाम रख कर सेवा करने लगा। अकाल की स्थिति में मिल में काम कर के गोमाता के लिए चारे का प्रबंध किया
कुछ समय खेती बाड़ी का कार्य किया। व्यापार किया पर मन शांत नहीं हुआ।
संयोग से इष्टदेव हनुमान जी के प्रांगण मे गो कथा का आयोजन चल रहा था। वहाँ गो-सेवा और गो-रक्षा की बात सुनकर वक्ता के गुरुदेव से मिलने का विचार बनाया कि शायद मेरे मन में जीव सेवा जीव रक्षा और भगवत प्राप्ति की इच्छा है, वह पूरी हो जाए मेरी गुरु की खोज पूरी हो जाए। गो-सेवा और गो प्रेम के प्रभाव से जैसा सोचा वैसा ही हुआ।
गुरुदेव की सादगी, प्रभावशाली और ओजस्वी वाणी, और गो-सेवा गो-रक्षा हेतु सतत् चलते रहने का कार्य मुझे भा गया।
घर आकर परिजनों को बताया, परिजन सहज तैयार नहीं हुए और स्वयं के भविष्य की चिंता बताने लगे, तब एक क्रांतिकारी की बात याद आई और निर्णय लिया कि लाखों माँओ और लाखों गायों को बचाने के लिए जन्म देने वाली माँ और गोमती गोमाता को छोड़कर २२ अक्टूबर २०१३ में गुरुदेव की शरण मे गो-सेवा के भाव से आ गया। २०१४ की गुरु पूर्णिमा को मेहंदीपुर बालाजी में पूज्य गुरुदेव भगवान से नाम मंत्र दीक्षा ली
और ३१ वर्षीय गो पर्यावरण और अध्यात्म चेतना पद यात्रा (हल्दीघाटी से संपूर्ण भारतवर्ष) की आगे की व्यवस्था देखने लगा। सर्वे के परिणाम उत्तम रहे, गुरुदव की प्रसन्नता से विश्वास दृढ़ हुआ।
फिर 6 माह के लिए गुरुदेव जयपुर से पैदल चलकर महाराष्ट्र के काऊप्रिंप्री पहुँचे, तब एकांतिक साथ और दादा गुरुदेव दाता भगवान का विशेष सानिध्य प्राप्त हुआ और संतुष्टि भी प्राप्त हुई।
भैरव बाबा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर पुनः बड़े नगरो में यात्रा का सर्वे और गो कथा व्यवस्था का कार्य देखने लगा
फिर गुरुदेव के देशनोक प्रवास के समय पदयात्रा का सुव्यवस्थित संचालन किया।
फिर देशनोक जाकर यात्रा गुरुदेव भगवान को सौंप कर गोमाता को राष्ट्रमाता बनाने के अभियान में शिवांशी माता और गुरुदेव द्वारा प्रदत २ वाहन लेकर गो चेतना महायात्रा हेतु रवाना हो गया। हरियाणा के २२ जिलो के 800 गांव में अलख जगाकर गो चेतना शोध अनुसंधान संघ ट्रस्ट बनाकर कार्य प्रारंभ किया और देश के प्रतिष्ठित संतों, महापुरुषों, राजनेताओं और गोभक्तों से भेंटकर कार्य को मूर्त रूप देने का कार्य किया। ज्योतिर्पीठ के पूज्य शंकराचर्य महाराज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज के सानिध्य में कार्य किया।
सफलता हेतु कुरुक्षेत्र में आत्मदाह का विचार बनाया, परन्तु संतों ने स्वीकृति नहीं दी, तब गुरुदेव को सारा प्रसंग पता चला।
काशी से मुझे गोरखपुर बुला लिया और गोरखपुर से मालवा के गो अभयारण्य में ले आए। राष्ट्रमाता अभियान की असफलता मन से निकल नहीं पा रही थी। अभयारण्य में आत्मदाह का प्रयास किया, परन्तु गुरुदेव ने चिकित्सीय प्रभाव से बचा कर साधना सत्संग और गो कथा सीखने का आदेश दिया और धेनु धरती फाउंडेशन का संरक्षक, मार्गदर्शन बना दिया अब मजबूती तैयारी के साथ गो, बैल आधारित कृषि कार्य अनुसंधान, मॉडल और प्रचार के कार्य के साथ गो कथा के माध्यम से शेष कार्य को पूरा करने का निर्णय लिया है।
गुरूदेव भगवान द्वारा प्रदत्त जिम्मेदारियां:
वर्तमान में मुझे गुरुदेव भगवान की कृपा से निम्न सेवादायित्व प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है:-
१. ४३ नियमों का पालन करते हुए कथा प्रवचन करना तथा जन-जन को भगवती गौमाता की महिमा से अवगत करा गौमाता की महिमा को पूरे भारतवर्ष तक पहुंचाना।
2. जनमानस की हृदय में गौ-सेवा एवं गौ-रक्षा के भाव पुन: जाग्रत करना।
3. गौमाता के कृषि प्रधान, धार्मिक, आर्थिक, आध्यात्मिक एवं ईश्वरीस्वरूप तथा पंचगव्य के औषधीय महत्व को सबके सामने रखना।
4. कृषक भाई-बहनों को रसायन मुक्त गौ आधारित बैल आधारित प्राकृतिक कृषि के लिए प्रेरित करना एवं सभी को अपने जीवन में वेदलक्षणा गौमाता से प्राप्त गव्य पदार्थों के उपयोग के लिए प्रेरित करना।
5. आंगन में गौमाता को विराजमान कर या किसी भी प्रकार से किसी भी रूप में गौ-सेवा करने के लिए प्रेरित करना ताकि सम्पूर्ण विश्व में गौ आधारित सनातन संस्कृति को पुनः स्थापना हो।
6. धेनु धरती फाउंडेशन के मार्गदर्शन और संरक्षण, संख्या वृद्धि का कार्य करना।
सफलता हेतु संकल्प
1. पैरों में जुते-चप्पल धारण नहीं करना।
2. विलासिता का त्याग कर सामान्य जीवन जीना
3. किसी का व्यक्तिगत आथित्य स्वीकार कर किसी के निजी आवास गृह में प्रवेश नहीं करना
4. गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना